हैलो दोस्तो आज हम एक ऐसे मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं जो लाखों बैंक कर्मचारियों के भविष्य को सीधे प्रभावित करता है, “नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में हो रहा उनका वित्तीय नुकसान”। क्या आपने कभी सोचा है कि एक बैंक कर्मचारी जो 30-35 साल तक सेवा करता है, रिटायरमेंट पर 10 से 12 लाख रुपये कम क्यों पा रहा है? आइए इस पूरे मसले को विस्तार से समझते हैं। Bank Employees are losing Rs.10-12 Lac in NPS.
Bank Employees are losing Rs.10-12 Lac in NPS, Committee Demands Urgent Reforms in NPS
हाल ही में, राष्ट्रीय NPS सुधार समन्वय समिति (NNRCC) ने एक साहसिक कदम उठाया है। 12 मई, 2025 को, उन्होंने वित्त मंत्रालय को एक औपचारिक पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में NPS के कार्यान्वयन में कई खामियों को दिखाया गया है।
NPS (नेशनल पेंशन स्कीम) क्या है?
नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक सेवानिवृत्ति योजना है, जो पूरी तरह से मार्केट लिंक्ड होती है। इसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों एक निर्धारित राशि योगदान करते हैं। परंतु, इसका फायदा तय नहीं होता — जितना निवेश, उतना रिटर्न।
बैंकों में NPS के साथ क्या समस्या है?
अगर आप NPS के तहत बैंक कर्मचारी हैं, तो आप शायद यह पहले से ही जानते होंगे कि आपको यह चुनने कि अनुमति नहीं होती है कि कौन सा पेंशन फंड मैनेजर (PFM) आपकी सेवानिवृत्ति राशि का प्रबंधन करेगा। आप PFM को स्विच नहीं कर सकते, भले ही आपको यह पता हो कि कोई दूसरा बेहतर रिटर्न दे रहा है।
आपको अपने निवेश पैटर्न (इक्विटी, ऋण, सरकारी प्रतिभूतियाँ, आदि) को संशोधित करने का अधिकार नहीं दिया गया है। इसका मतलब है कि आपकी मेहनत से कमाई गई पेंशन राशि एक ऐसे सिस्टम में बंद होकर रह गई है, जहाँ आपका कोई नियंत्रण ही नहीं है।
बैंक कर्मचारी NPS में कितना नुकसान उठा रहे हैं?
Bank Employees are losing Rs.10-12 Lac in NPS: एक अनुमान के अनुसार, बैंक कर्मचारी 10 से 12 लाख रुपये तक का नुकसान उठा रहे हैं। NNRCC के अनुसार, इस विकल्प मे खामियों कि वजय से कई कर्मचारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है।
दरअसल मे रिपोर्ट मे बात सामने आई है कि बाजार के प्रदर्शन की तुलना में कम रिटर्न के कारण 2011 से NPS में शामिल होने वाले प्रत्येक ग्राहक को 10 से 12 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।
NPS में पारदर्शिता की कमी
कई कर्मचारियों को ये तक नहीं पता होता कि उनका पैसा कहाँ निवेश किया जा रहा है, किसने मैनेज किया और कितना रिटर्न मिला। यह पारदर्शिता की कमी एक बड़ी चिंता का विषय है।
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Clear guidelines from Pension Fund Regulatory and Development Authority
पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) के पास स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं, जो सभी ग्राहकों को अनुमति देते हैं कि वह PFM चुन सकते है और स्विच कर सकते है और अपने निवेश आवंटन को संशोधित कर सकते है। लेकिन यह विकल्प कई बैंक कर्मचारियों के लिए यह सिर्फ कागज़ पर मौजूद हैं, क्योंकि अधिकांश सार्वजनिक क्षेत्र और राष्ट्रीयकृत बैंकों ने इन सुविधाओं को सक्षम नहीं किया है।
केंद्र सरकार के कर्मचारियों को क्या मिलता है? जो बैंक कर्मचारियों को नहीं मिलता
“1 अप्रैल, 2019 के बाद NPS में शामिल होने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारी: वह अपना पेंशन फंड मैनेजर चुन सकते हैं, और अपनी निवेश प्राथमिकताएँ कभी भी बदल सकते हैं।”
समिति क्या मांग कर रही है
NNRCC ने वित्त मंत्रालय से तीन स्पष्ट मांगें की हैं:
- PFM विकल्प की अनुमति दें: बैंक कर्मचारियों को अधिकतम रिटर्न के लिए अपने पेंशन फंड मैनेजर को चुनने और बदलने दें।
- निवेश लचीलापन सक्षम करें: उन्हें यह चुनने दें कि उनके NPS टियर-1 पैसे का निवेश कैसे किया जाए – इक्विटी, सरकारी बॉन्ड या ऑटो-चॉइस – ठीक वैसे ही जैसे अन्य ग्राहक करते हैं।
- बैंकों में NPS सलाहकार सेल स्थापित करें: प्रत्येक बैंक को एक सहायता इकाई बनानी चाहिए ताकि फंड के प्रदर्शन की निगरानी की जा सके और कर्मचारियों को निवेश विकल्पों के बारे में शिक्षित किया जा सके ताकि सेवानिवृत्ति योजना सहायता प्रदान की जा सके।
ये बदलाव क्यों महत्वपूर्ण हैं
यह केवल बेहतर रिटर्न के बारे में नहीं है। यह निष्पक्षता, वित्तीय सुरक्षा और अपने भविष्य को नियंत्रित करने के अधिकार के बारे में है।
हजारों सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारी हर दिन कड़ी मेहनत कर रहे हैं, फिर भी उन्हें NPS के तहत बुनियादी निवेश की स्वतंत्रता नहीं है। इस अंतर को ठीक करने से सिस्टम में भरोसा बढ़ेगा, कर्मचारी संतुष्टि में सुधार होगा,
सेवानिवृत्ति बचत का अधिक कुशल उपयोग सुनिश्चित होगा।
सरकार की भूमिका
अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। वित्त मंत्रालय इस मामले में शांत है, जबकि लाखों कर्मचारी असुरक्षा में जी रहे हैं।
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निष्कर्ष
बैंक कर्मचारियों की पेंशन का मुद्दा केवल एक संख्या नहीं, बल्कि लाखों परिवारों की सुरक्षा से जुड़ा विषय है। यह जरूरी है कि सरकार, बैंक और नीति निर्माता इस असमानता को समझें और शीघ्र समाधान निकालें। वरना NPS में रिटायरमेंट के समय मिलने वाला यह घाटा भविष्य के लिए एक बड़ी आर्थिक चुनौती बन जाएगा। अभी हमने हालही के मुद्दे Bank Employees are losing Rs.10-12 Lac in NPS पर विशेष जानकारी दी है इसे अपने बैंक कर्मचारि दोस्तो के साथ जरूर शेयर करे।